Mumbai : 17 Years After 26/11, Remembering The Terror Attacks, आज भी ज़ख्म ताज़ा

Wed 26-Nov-2025,12:47 AM IST +05:30

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Mumbai : 17 Years After 26/11,  Remembering The Terror Attacks, आज भी ज़ख्म ताज़ा
  • 26/11 हमला 2008 में 166 लोगों की मौत, 300 से अधिक घायल, आतंकियों ने 60 घंटे तक मुंबई को बंधक बनाया।

  • 17 साल बाद भी स्थानीय नेटवर्क, साजिद मीर की पहचान और पाक प्रायोजित संरचना के कई रहस्य अनसुलझे हैं।

  • ताज होटल, ट्राइडेंट, सीएसटी, कमा अस्पताल और नरीमन हाउस बने आतंकी निशाने, कई वीरों ने जान देकर बचाई ज़िंदगियाँ।

Maharashtra / Mumbai :

मुंबई/ मुंबई एक ऐसा शहर जिसे “सिटी दैट नेवर स्लीप्स” कहा जाता है। लेकिन 26 नवंबर 2008 की शाम ने इस शहर की रफ्तार, उसकी धड़कन और उसकी आज़ादी को लगभग 60 घंटे के लिए कैद कर लिया। 17 साल बाद भी इस रात की चीखें, धुआँ, गोलियों की आवाज़ें और बहादुरी की कहानियाँ भारतीय इतिहास की स्मृति में बहुत गहरा निशान छोड़ चुकी हैं।

26/11 सिर्फ एक आतंकी हमला नहीं था; यह भारत पर हुआ एक संगठित, रणनीतिक और अत्यंत बर्बर हमला था, जिसे पाकिस्तान के आतंकवादी ढांचे द्वारा योजनाबद्ध तरीके से संचालित किया गया था।

🔥 ताज पैलेस: जलते आसमान की तस्वीर और 26/11 का प्रतीक

ताज पैलेस के गुंबद पर उठती लपटें आज भी 26/11 का सबसे पहचानने योग्य दृश्य हैं, एक ऐसा दृश्य जिसने दुनिया को दहला दिया। होटल, जो सामान्य दिनों में अरब सागर और गेटवे ऑफ इंडिया के बीच राजसी चमक बिखेरता है, उस रात आतंक, खौफ, धुएँ और गोलियों की आवाज़ों में डूबा हुआ था।

ताज और ट्राइडेंट दोनों लक्ज़री होटल आतंकियों के प्रमुख निशाने थे। ताज के Tiffin और Kandahar रेस्तराँ में बैठे मेहमानों पर ताबड़तोड़ गोलियाँ चलाई गईं। ग्रेनेड फटे, आग भड़क उठी और अंदर मौजूद विदेशी पर्यटकों व भारतीय मेहमानों के लिए यह नरक जैसा दृश्य बन गया।

लेकिन इस अंधेरे के बीच कुछ रोशनी भी थी-होटल के कर्मचारियों की अदम्य साहस की रोशनी। पूर्व हेड शेफ हेमंत ओबेरॉय और उनकी टीम ने अपनी जान दांव पर लगाकर 200 से अधिक लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला। इनमें से कई कर्मचारी अपनी जान गंवा बैठे, लेकिन पीछे हटने से इंकार किया।

💥 सीएसटी: भीड़ में मौत

हमले की शुरुआत सीएसटी स्टेशन से हुई, भारत के सबसे व्यस्त स्टेशनों में से एक। दो आतंकियों ने वहाँ अंधाधुंध गोलीबारी की।
58 लोग मौके पर ही मारे गए, 104 घायल हुए।
आतंकी भीड़ में मिलकर आगे बढ़ गए, जिससे शुरुआती भ्रम और बढ़ गया।

🏥 शहर के अन्य हिस्सों में आतंक

इसके बाद कमा और अलब्लेस अस्पताल, लियोपोल्ड कैफे, और दो टैक्सियों में रखे बम भी फटे।
मुंबई चारों तरफ से आग, खून और चीखों में घिर चुकी थी।

🏠 नरीमन हाउस: मानवता की सबसे बहादुर लौ

नरीमन हाउस, यहूदी सेंटर पर हमला 26/11 का सबसे हृदयविदारक अध्याय था।
लेकिन यहाँ मानवता की एक सबसे बहादुर कहानी भी जन्मी, सांद्रा सैमुअल की।

जब आतंकियों ने नरीमन हाउस पर कब्ज़ा किया, उस समय दो वर्षीय मोशे होल्त्ज़बर्ग वहाँ अपने माता-पिता के साथ फंसा हुआ था।
सांद्रा ने खतरे की परवाह किए बिना बच्चे को उठाया और गोलियों की आवाज़ों के बीच सीढ़ियों से उसे बाहर निकालकर सुरक्षित स्थान पर पहुँचा दिया।

मोशे ज़िंदा है, क्योंकि सांद्रा ने डर को मात दी।

👮‍♂️ मुंबई पुलिस और कमांडोज़ की शहादत

26/11 के वीरों की सूची लंबी है, लेकिन कुछ नाम आज भी हमारे दिल में अमर हैं:

हेमंत करकरे

अशोक कामटे

विजय सालस्कर

ये अधिकारी आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद हुए।

एनएसजी, मरीन कमांडोज़ और पुलिस ने मिलकर 60 घंटे की लड़ाई लड़ी।
9 आतंकियों को मार गिराया गया, 1,अजमल कसाब-ज़िंदा पकड़ा गया।
बाद में उसे न्यायालय प्रक्रिया के बाद फांसी दी गई।

अंतिम आँकड़ा झकझोरने वाला था:
166 मृत, 300+ घायल।

🔍 17 साल बाद भी अनुत्तरित सवाल

हालाँकि हमले की कई परतें खुल चुकी हैं, तीन बड़े सवाल आज भी सामने हैं:

1️⃣ स्थानीय नेटवर्क की पूरी सच्चाई क्या थी?

जांच एजेंसियों ने कई लिंक खोजे, लेकिन आज भी माना जाता है कि स्थानीय सहायता का वास्तविक दायरा पूरी तरह उजागर नहीं हो सका।

2️⃣ साजिद मीर कौन है?

साजिद मीर- 26/11 का सबसे महत्वपूर्ण साज़िशकर्ता।
वही शख्स जिसने भारत में पहले क्रिकेट फैन बनकर भ्रमण किया और हमले के लक्ष्यों का निरीक्षण किया।
आज भी सुरक्षा एजेंसियाँ उसकी वास्तविक पहचान, भूमिका और नेटवर्क को 100% सटीकता से उजागर नहीं कर पाई हैं।

3️⃣ पाकिस्तानी आतंकी ढांचा आज भी सक्रिय क्यों है?

17 साल बाद भी पैटर्न वही है:

योजना पाकिस्तान में

प्रशिक्षण पाकिस्तान में

घुसपैठ एलओसी या समुद्री मार्ग से

हमला भारत में

26/11 के बाद पुणे जर्मन बेकरी, उरी (2016), पठानकोट (2016), गुरदासपुर (2015)-
हर बड़े हमले में यही संरचना सामने आई।